Wednesday, September 29, 2010

Meri chahat

उठो रेशो उठो धागों को बना दो,
उठो पंछियों उठो आसमान को सजा दो,
आज वक़्त है कुछ करने का, सब कुछ हासिल करने का,
उठ मेरे मन उठ आज मेरी लहर को उसके साहिल में मिला दो.
करके न करा उस काम को, आज मन है मुझे उसकी खाक में मिला दो,
कहके भी न कह पाई उस बात को, आज मुझे उस बात में मिटा दो,
जान चुकी हूँ क्या पाना है मुझे, आज मुझे मेरे उस अहसास में जला दो,
बस अब जो पाना है उससे पाके रहूँ, मुझे इस जिन्दगी में ना कोई सजा दो,
मेरी खाली हथेली पर मेरी किस्मत आ जाये, आज कुछ ऐसा रंग मेरे आगोश में मिला दो,
उठो मेरे मन उठो, बस अब मेरी लहर को उसके साहिल से मिला दो.

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