Wednesday, September 19, 2012

वक़्त

वो वक़्त गुजर गया, ये वक़्त भी गुजर जायेगा,
कुछ खो दिया उस वक़्त में, वो शायद ही कभी संभल पायेगा,
कुछ घाव मिले है गहरे, अनजान मैं नहीं,
शायद उसके बाद अब पहचान मैं नहीं,
खोने का गम कम है, पर पाने की चाहत क्यूँ नहीं,
पाना है अभी बहुत कुछ पर उसकी आदत क्यूँ नहीं,
वो वक़्त चला गया, पर उसके जाने पर भी,
मैं कौन हूँ, मेरे होने की आहट क्यूँ नहीं,
दे दो मुझे एक लम्हा फिर से जीने के लिए,
काश वोह वक़्त वापस मिल जाये, जिंदगी के धागे में खुशियों के मोती पिरोने के लिए,
हाँ, वोह वक़्त वापस मिल जाये, मुझे फिर से उस आगोश में गुम होने के लिए.

Tuesday, September 18, 2012

Life is Full of Papers :)

Paper and paper, every where paper, getting the paper, reading the paper, writing the paper, understanding the paper, teaching the paper and interpreting the paper, thinking of paper and drawing the paper, taking the paper and reviewing the paper, checking the paper and loosing the paper, so many paper and access to all paper, but one paper restricted access and trying to unlock that paper. Now guess "Which Paper" ????

Saturday, September 15, 2012

बातें अभी भी है अनकहीं सी

तू आया, तेरी आहटे मेरे कानो ने सुनी,
तेरी आहटों की मासूमियत मेरे दिल को छु गयी,
तुझसे थोडा सा प्यार थोड़ी सी मोहब्बत हुई,
तेरी प्यार से मेरी जिंदगी फिर नई हुई,
एक एक पल तेरी आगोश में बिताया है.
एक एक लम्हा तेरे संग जिंदगी का नया खट्टा मीठा अनुभव पाया है,
सोचा था वक़्त बहुत है संग जीना का,
पर क्या पता था दो साल बन जायेंगे सुन्दर जैसे नक्काशी पश्मीने का,
आज तू चला तो पता चला, कुछ आहटे हुई है दिल में
कुछ टूट रहा है, तेरे साथ से मेरा संग छूट रहा है,
दिल भी तेरा, मैं भी तेरी, यही आहट है छुपी सी
बहुत बातें हुई है हमारे बीच, पर आज भी लगता है, "हाँ बहुत बातें अभी भी है अनकहीं सी"
:(
 

Tuesday, September 4, 2012

मैं

मैं बीच रास्ते में खो गयी हूँ, कोई मुझे रास्ता दिखा दे,
मैं मंजिल से दूर हूँ, कोई मुझे मंजिल बता दे,
मैं कभी हवा हूँ, कभी बुलबुला, कोई मुझे मेरी तकदीर बता दे,
बन गयी हूँ कितनो की राजदार, कोई खुद को मेरा राजदार बना दे,
कुछ कहूँ या भूल जाऊं, बस कोई मुझे "मुझसे" मिलवा दे.