Wednesday, September 19, 2012

वक़्त

वो वक़्त गुजर गया, ये वक़्त भी गुजर जायेगा,
कुछ खो दिया उस वक़्त में, वो शायद ही कभी संभल पायेगा,
कुछ घाव मिले है गहरे, अनजान मैं नहीं,
शायद उसके बाद अब पहचान मैं नहीं,
खोने का गम कम है, पर पाने की चाहत क्यूँ नहीं,
पाना है अभी बहुत कुछ पर उसकी आदत क्यूँ नहीं,
वो वक़्त चला गया, पर उसके जाने पर भी,
मैं कौन हूँ, मेरे होने की आहट क्यूँ नहीं,
दे दो मुझे एक लम्हा फिर से जीने के लिए,
काश वोह वक़्त वापस मिल जाये, जिंदगी के धागे में खुशियों के मोती पिरोने के लिए,
हाँ, वोह वक़्त वापस मिल जाये, मुझे फिर से उस आगोश में गुम होने के लिए.

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