Friday, August 31, 2012

कभी उनसे नजदीकिया उनसे मेरी वफ़ा बन गयी
कभी उनसे दूरियां ही मेरी जीने की वजह बन गयी,
सब कुछ बिकता है यहाँ बस मेरे एक इशारे पे,
पर तेरे हाथों की थपथपी मेरी इस दुनिया से जफाह की वजह बन गयी.
कुछ धुंदली सी यादें हैं तेरी बाँहों मैं बितायी हुई,
एक "वजह" की चाह, मुझसे तेरी बाँहों की दूरी बन गयी,
एक तेरा "घर" है जहाँ हर पराया भी अपना लगता है,
और एक मैं हूँ अकेली यहाँ, जहाँ मुझे हर किसी से डर लगता है,
न चाह है खुद की, ना ही रहमते खुदा की,
तेरे साथ की पनाहों मैं मुझे अपना हर सपना सच्चा लगता है,
बात तोह है बहुत शर्मीली सी पर कहने को दिल चाहता है,
"माँ" एक तू ही है जिसके चेहरे में मुझे सच मुच "खुदा का रहम" दिखता है.

Saturday, August 25, 2012

उम्मीद

कुछ सुबह खुशियाँ लेकर आती है,
कुछ सुबह चेहरे की परेशनिया बन जाती है,
कुछ सुबह नई उमंग जगाती है,
कुछ सुबह मेरे रंगों को बिखरा जाती है,
पर एक बात जानी है, जो हर सुबह बताती है,
के हर सुबह एक "उम्मीद की किरण" जगाती है,
और रंगों मैं विश्वास भर जाती है.
मुझे हर वक़्त इंतजार है उस सुबह का "जो फिर खुशियों के रंग लाएगी
और मुझे ये बताएगी "शायद मेरी कहानी अब शुरू होने वाली है"
:)

Friday, August 10, 2012

"वक़्त"

कुछ राज़ है पुराने दबे हुए
कुछ पल है जो आने वाले है,
कुछ बातें है याद नहीं है,
कुछ बातें अभी बनने को है
एक मन है पुराने राज़ को जानने का,
एक मन है नयी बातों को पहचानने का,
एक बात खास है के दोनों में एक "वक़्त" समाया है,
ना बीता कल मालूम है, ना आने वाला कल जान पाई हूँ
फिर भी दबी सी कसक है, पुरानी राज़ो को जानने का और हाँ नयी "बातों" को पहचानने का.
इंतजार है, इंतजार है, इंतजार है हाँ "वक़्त" तुम्हारा.