कभी उनसे नजदीकिया उनसे मेरी वफ़ा बन गयी
कभी उनसे दूरियां ही मेरी जीने की वजह बन गयी,
सब कुछ बिकता है यहाँ बस मेरे एक इशारे पे,
पर तेरे हाथों की थपथपी मेरी इस दुनिया से जफाह की वजह बन गयी.
कुछ धुंदली सी यादें हैं तेरी बाँहों मैं बितायी हुई,
एक "वजह" की चाह, मुझसे तेरी बाँहों की दूरी बन गयी,
एक तेरा "घर" है जहाँ हर पराया भी अपना लगता है,
और एक मैं हूँ अकेली यहाँ, जहाँ मुझे हर किसी से डर लगता है,
न चाह है खुद की, ना ही रहमते खुदा की,
तेरे साथ की पनाहों मैं मुझे अपना हर सपना सच्चा लगता है,
बात तोह है बहुत शर्मीली सी पर कहने को दिल चाहता है,
"माँ" एक तू ही है जिसके चेहरे में मुझे सच मुच "खुदा का रहम" दिखता है.
कभी उनसे दूरियां ही मेरी जीने की वजह बन गयी,
सब कुछ बिकता है यहाँ बस मेरे एक इशारे पे,
पर तेरे हाथों की थपथपी मेरी इस दुनिया से जफाह की वजह बन गयी.
कुछ धुंदली सी यादें हैं तेरी बाँहों मैं बितायी हुई,
एक "वजह" की चाह, मुझसे तेरी बाँहों की दूरी बन गयी,
एक तेरा "घर" है जहाँ हर पराया भी अपना लगता है,
और एक मैं हूँ अकेली यहाँ, जहाँ मुझे हर किसी से डर लगता है,
न चाह है खुद की, ना ही रहमते खुदा की,
तेरे साथ की पनाहों मैं मुझे अपना हर सपना सच्चा लगता है,
बात तोह है बहुत शर्मीली सी पर कहने को दिल चाहता है,
"माँ" एक तू ही है जिसके चेहरे में मुझे सच मुच "खुदा का रहम" दिखता है.