Friday, August 10, 2012

"वक़्त"

कुछ राज़ है पुराने दबे हुए
कुछ पल है जो आने वाले है,
कुछ बातें है याद नहीं है,
कुछ बातें अभी बनने को है
एक मन है पुराने राज़ को जानने का,
एक मन है नयी बातों को पहचानने का,
एक बात खास है के दोनों में एक "वक़्त" समाया है,
ना बीता कल मालूम है, ना आने वाला कल जान पाई हूँ
फिर भी दबी सी कसक है, पुरानी राज़ो को जानने का और हाँ नयी "बातों" को पहचानने का.
इंतजार है, इंतजार है, इंतजार है हाँ "वक़्त" तुम्हारा.

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