एक छोटा बच्चा रोता है,
मोती से आसूं खोता है,
पुछू तो क्या है कुफ्र हुआ,
एक फूल पे दिल शुन्य हुआ,
दुष्कर वो विस्पंदन हुआ,
जो फूल तोड़ने के सजा बना,
मेरा मन तू विचलित था,
यही सोच के चिंतित था,
फूल बड़ा या फूलों सी मुस्कान
क्या इतना निष्ठुर होता है इंसान!!!
मोती से आसूं खोता है,
पुछू तो क्या है कुफ्र हुआ,
एक फूल पे दिल शुन्य हुआ,
दुष्कर वो विस्पंदन हुआ,
जो फूल तोड़ने के सजा बना,
मेरा मन तू विचलित था,
यही सोच के चिंतित था,
फूल बड़ा या फूलों सी मुस्कान
क्या इतना निष्ठुर होता है इंसान!!!
No comments:
Post a Comment