Saturday, September 18, 2010

KOSHISH>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

कोशिश करती हूँ की यहाँ की महक में समां जाऊ , कोशिश करती हू की यहाँ के आपनो को आपना बना जाऊ , पर क्या करूँ तेरी आदत कुछ इस तरह से बस गयी है मेरी रूह में , तेरे बिना रहने का सोचा तो बहुत , पर तू ही बता आपनी रूह को छोड़कर कहाँ जाऊ !!!!!

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