Saturday, May 11, 2013

धुआं धुआं

मैं कहीं थी धुआं धुआं, ये वक़्त ले गया था मुझे कहाँ,
आज लौटी हूँ अपने सपनो के देश में, जहाँ हकीकत है मेरे आगोश में,
मै आज अपने आप की हूँ, क्यूँकी मेरी सचाइया है यहाँ
जिससे मुझे वो हसीन लम्हे मिलेंगे हर पनाह हर पनाह
ए खुदा तेरी खुदाई का रहम रहे मुझपे 
तेरी हर दुआ मै एक साचा रहमान मिले मुझको
गिला रहेगा मुझे उन कुछ घायल लम्हों का
पर तेरी पनाह मे जश्न मानूंगी एक दिन अपने सपनो का.

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